मेरे घर की छत पे
एक चबूतरा है
और वहां से
दिखता है
शीशम के दरख्तों का एक जंगल
वक़्त जैसे चिपक जाता है
उस चबूतरे और उन दरख्तों में ...
मैं खाली आँखों से
बस देखता रहता हूँ
आती जाती कहानियाँ
जो उस जंगल में
सदियों से छुपी हैं शायद ...
कभी कोई और बैठेगा
और ऐसे ही बस
देख लेगा मेरी भी कहानी
एक अरसा बिताया है,
खुद को
उस जंगल में
छुपाने की कोशिश में .....
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