Thursday 20 December 2012

शीशम के दरख्तों का एक जंगल

मेरे घर की छत पे 
एक चबूतरा है 
और वहां से 
दिखता है 
शीशम के दरख्तों का एक जंगल 

वक़्त जैसे चिपक जाता है 
उस चबूतरे और उन दरख्तों में ...
मैं खाली आँखों से 
बस देखता रहता हूँ 
आती जाती कहानियाँ
जो उस जंगल में
सदियों से छुपी हैं शायद ...

कभी कोई और बैठेगा
और ऐसे ही बस
देख लेगा मेरी भी कहानी

एक अरसा बिताया है,
खुद को
उस जंगल में
छुपाने की कोशिश में .....

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