Friday, 21 November 2008

Saath nibhaoge na...

साथ निभाओगे ना?....

एक रात में तारे
रिश्ता बना लेते हैं
कल फिर आओगे ना?

रात के खवाब
फलक़ बनाता है
चाँद लगाओगे ना?

कुछ कॅनचो की
मेरी छोटी चाहत
खेलने आओगे ना?

मैं गूंगा बहरा
आँखें जानता हूँ
नज़र पिलाओगे ना?

वक़्त की रफ़्तार
बड़ी तेज होती है
साथ निभाओगे ना?

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