आँखों में सजती है तेरी सूरत
अश्क बन उभरती है तेरी सूरत
जब मॅन खोया ख़यालों में
हल्के से छू के जाए तेरी सूरत
मैं राख की मानींद सोया था
एक आग लगाए तेरी सूरत
खवाब लगाऊं रात की मिट्टी में
शबों सा सींचे तेरी सूरत
पल में दिखे, पल में खो जाए
एक धुआँ के जैसा तेरी सूरत
सुबह, शाम, दीन, रात सब बेकार
एक अजब नशा है तेरी सूरत
क्यूँ देखता हूँ आइंया इतनी देर तलक
मेरे चेहरे में बसा है तेरी सूरत
तेरे इश्क़ में खोया खोया रहता हूँ
कोई खुदा का पता पूछे, मैं दिखाऊँ तेरी सूरत
अश्क बन उभरती है तेरी सूरत
जब मॅन खोया ख़यालों में
हल्के से छू के जाए तेरी सूरत
मैं राख की मानींद सोया था
एक आग लगाए तेरी सूरत
खवाब लगाऊं रात की मिट्टी में
शबों सा सींचे तेरी सूरत
पल में दिखे, पल में खो जाए
एक धुआँ के जैसा तेरी सूरत
सुबह, शाम, दीन, रात सब बेकार
एक अजब नशा है तेरी सूरत
क्यूँ देखता हूँ आइंया इतनी देर तलक
मेरे चेहरे में बसा है तेरी सूरत
तेरे इश्क़ में खोया खोया रहता हूँ
कोई खुदा का पता पूछे, मैं दिखाऊँ तेरी सूरत
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